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Date: January 13, 2020

एसटीपीआई महानिदेशक डॉ. ओंकार राय ने कहा- स्टार्टअप से बढ़ाएंगे छोटे शहरों में रोजगार

STPINEWS


भारत फिलहाल सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सालाना 136 अरब डॉलर का निर्यात कर रहा है। इसमें 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी सेवाओं की है, जबकि सॉफ्टवेयर उत्पादों का निर्यात महज 8.2 अरब डॉलर का है। सरकार की मंशा आईटी क्षेत्र में उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ाना है।

इसकी जिम्मेदारी सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) को दी गई है। अमर उजाला के शिशिर चौरसिया ने एसटीपीआई महानिदेशक डॉ. ओंकार राय से इस जिम्मेदारी और योजना पर बातचीत की। पेश है अंशः

प्रश्न- प्रधानमंत्री चाहते हैं कि छोटे शहरों में भी आईटी स्टार्टअप सामने आएं, ताकि युवाओं को उनके शहरों या घर के आसपास ही रोजगार मिले। इसके लिए एसटीपीआई क्या कर रहा है?

उत्तर- हमने इस संकेत पर अमल शुरू कर दिया है। हमारी कोशिश है कि देश के हर हिस्से में स्टार्टअप शुरू हो। हमने देखा है कि देश में न तो प्रतिभा की कमी है और न ही अवसर की। जरूरत बस सही दिशा-निर्देश मिलने की है।

युवाओं को कॉलेज से निकलते ही वैसा माहौल मिले, सुविधा मिले तो वे नौकरी ढूंढने के बजाय दूसरों को नौकरी देने की तरफ बढ़ेंगे। इसी उद्देश्य को सामने रखकर देशभर में 21 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) विकसित कर रहे हैं, जहां युवाओं को आज की जरूरत के हिसाब से सुविधाएं मिलेंगी।

प्रश्न- एसटीपीआई को अभी तक देश के सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ाने में कितनी सफलता मिल सकी है?

उत्तर- हम इस दिशा में कितने सफल हुए हैं, इसका जवाब आंकड़ों से समझिए। एसटीपीआई का गठन 1991 में हुआ था और उस समय देश में आईटी से जुड़ा कुल राजस्व महज 52 करोड़ रुपये था। हमने सॉफ्टवेयर और इससे जुड़ी सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इकोसिस्टम तैयार किया। पिछले साल देश का आईटी निर्यात 136 अरब डॉलर पहुंच गया। हम गर्व से कह सकते हैं कि इसमें से करीब आधा निर्यात एसटीपीआई से जुड़ी फर्मों या कंपनियों का है।

प्रश्न- छोटे शहरों में इंक्यूबेशन सेंटर की काफी कमी महसूस की जा रही है। क्या इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी?

उत्तर- हम सीओई में इंक्यूबेशन सेंटर का भी प्रवधान कर रहे हैं। अक्सर देखा जाता है कि कॉलेज से निकलने वाले युवा तकनीकी रूप से सक्षम हैं। उनके पास आइडिया है लेकिन उसे धरातल पर उतारने केलिए संसाधन नहीं हैं। हम 2-4-10 सीटर कंपनी को इंक्यूबेशन सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। हमने हर राज्य में कम से कम एक केंद्र तो बना ही रखा है। इस समय हमारे 59 केंद्र चल रहे हैं। वहां भी यह सुविधा मिल रही है। हम इसमें लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं। अब किसी महानगर पर फोकस करने की बजाय हम छोटी-छोटी जगह इंक्यूबेशन सेंटर बना रहे हैं। यही नहीं, हम अगली पीढ़ी के इंक्यूबेशन सेंटर की भी सुविधा उपलब्ध कराने वाले हैं। अब भारतीय स्टार्टअप दुनिया के अन्य देशों से पीछे नहीं रहेंगे।

प्रश्न- अभी तक जो इंक्यूबेशन सेंटर बनाए गए हैं, उनका प्रदर्शन कैसा रहा है?

उत्तर- बेहद शानदार रहा है। हमारे करीब 60 केंद्र चल रहे हैं। इनमें से 50 में तो बेहद छोटे-छोटे स्टार्टअप निकलकर सामने आए हैं। इन केंद्रों में हर साल डेढ़ सौ से 200 कंपनियां इंक्यूबेट होती हैं, जहां स्टार्टअप केलोग आते हैं, सीट लेते हैं, किराया देते हैं, काम करते हैं और आगे बढ़ते हैं।

प्रश्न- आईटी क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को एआई, मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्र में पारंगत करने के लिए भी कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे या आने वाले हैं?

उत्तर- हम इस तरह का कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित नहीं करते, बल्कि स्टार्टअप को टूल या टेक्नोलॉजी पर काम करने का मौका देते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है, हिचक मिटती है। यही नहीं, कॉलेज में पढ़ रहे युवा भी इस टूल या टेक्नोलॉजी पर काम कर सकते हैं। इसके लिए कोई कॉलेज अनुरोध करता है तो उसके विद्यार्थियों को हम अपने यहां टूल पर काम करने का मौका देते हैं। यह अनुरोध यदि किसी एसोसिएशन की तरफ से आता है तो हम उन्हें भी ऐसी सुविधा प्रदान करते हैं।

प्रश्न- अक्सर कहा जाता है कि स्टार्टअप कोई आइडिया कॉपी करके आगे नहीं बढ़ सकते। क्या भारत में आइडिया के स्तर पर दिक्कत है?

उत्तर- सही कहा आपने, कोई दूसरों के आइडिया को कॉपी करके आगे नहीं बढ़ सकता है। मेरा मानना है कि यहां आइडिया की कोई कमी नहीं है। चाहे सामान बेचना हो, सेवा प्रदान करना हो, सबमें ढेरों आइडिया सामने आ रहे हैं। बस जरूरत है उसे अमलीजामा पहनाने की। 
 

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